◆एटीएम से अवैध लेन-देन एवं धोखाधड़ी
यह पैसा चोरी करने की एक नयी प्रक्रिया है। जिसमें उपभोक्ता के एटीएम कार्ड की जानकारी को एटीएम मशीन में या उस कक्ष में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे की कार्ड डालने वाली जगह पर कार्ड स्कैमर, कीपैड पर छोटा कैमरा आदि लगा के पता किया जाता है। इसके बाद अवैध तरीके से उपभोक्ता की जमा पूंजी को एटीएम से निकाल लिया जाता है।
◆कब, कैसे और कहाँ करें शिकायत
अपराध से पीड़ित व्यक्ति को शिकायत अवश्य दर्ज़ करनी चाहिए। इस प्रकार के मामलों में शिकायत क्रिमिनल एवं सिविल के दोनों प्रारूपों में करायी जा सकती है। क्रिमिनल के प्रारूप में अपराधी को 'सूचना तकनीक अधिनियम २००२' की धारा ६६ C और ६६ D के अंतर्गत अपराधी माना जायेगा। सिविल के प्रारूप में बैंक द्वारा उपभोक्ता के पैसों की कमीपूर्ति की जाएगी। इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियमावली लागू करके सभी बैंकों को सूचना भी दी गयी है। आऱबीआई के नियम आने के बाद सभी बैंकों की ज़िम्मेदारी अब और बढ़ गयी है। उदाहरण के लिए जैसे पहले 'अवैध लेन-देन' सिद्ध करने का भार उपभोक्ता पर होता था, लेकिन अब यह भार बैंक पर होगा।
◆बैंक में दर्ज़ करें शिकायत
उपभोक्ताओं की शिकायत एवं समस्याओं को सुलझाना बैंक का एक प्रमुख कार्य है। लेकिन साथ ही उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान भी रखना चाहिए, जैसे;
(1) आऱबीआई के नियम के अनुसार ऐसे धोखाधड़ी व अवैध लेन-देन के प्रकरण जहाँ पर बैंक की लापरवाही य कमी पायी जाती है, और या फिर इस प्रकार का उल्लंघन किसी तीसरे पक्ष द्वारा किया जाता है, तब वहाँ पर उपभोक्ता की देयता मतलब लायबिलिटी शून्य होगी। लेकिन इसके लिया पीड़ित उपभोक्ता को बैंक में अपनी शिकायत तीन कार्य दिवस के अंदर दर्ज़ करवानी होगी।
(2) अगर धोखाधड़ी य अवैध लेन-देन उपभोक्ता की लापरवाही के कारण हुआ है, तो लायबिलिटी उपभोक्ता पर तब तक रहेगी जब तक वह अपनी शिकायत बैंक में दर्ज नहीं करा देता। शिकायत दर्ज़ होने के बाद लायबिलिटी बैंक के ऊपर स्थानांतरित हो जाएगी।
(3) अगर उपभोक्ता का पैसा किसी व्यक्ति द्वारा एटीएम से निकाल लिया जाता है, और उपभोक्ता इसकी शिकायत तीन कार्य दिवस के बाद लेकिन सात कार्य दिवस के अंदर दर्ज़ करवाता है, तो उपभोक्ता की लायबिलिटी को सीमित कर दिया जायेगा, जो कि 'एटीएम से निकाले गए पैसे' य 'आरबीआई के नियम द्वारा निर्धारित मूल्य' दोनों में से जो भी रक़म कम होगी उसी के बराबर का पैसा बैंक द्वारा उपभोगता को दिया जायेगा।
(4) अगर उपभोक्ता अपनी शिकायत सात कार्य दिवस के बाद दर्ज करवाता है, तब उसको कितना पैसा बैंक द्वारा दिया जाये यह 'बैंक के बोर्ड की मंजूरी नीति' द्वारा तय किया जायेगा ।
(5) उपभोक्ता अपनी शिकायत उसी बैंक में दर्ज़ कर सकते हैं जिसमे उनका खाता खुला हुआ है, न कि उस बैंक में जिसके एटीएम से अवैध लेन-देन किया गया है।
(6) उपभोक्ता को शिकायत दर्ज़ करने के लिए बैंक द्वारा कई विकल्प दिए जाते हैं, जैसे की उपभोक्ता, सम्बंधित बैंक की वेबसाइट पर जा कर अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं। जिसके बाद बैंक उपभोक्ता को एसमएस, ई -मेल य प्रतिउत्तर के द्वारा आगे की कार्यवाही से अवगत कराएगी।
(7)
आरबीआई के नियम के अनुसार देयता धनराशि का भुगतान खाताधारक उपभोक्ता को दस कार्य दिवस के अंदर कर दिया जाये।
◆बैंक के शिकायत न दर्ज़ करने पर
अगर बैंक उपभोक्ता की शिकायत नहीं दर्ज करता है, तब इस स्तिथि में उपभोक्ता बैंक लोकपाल में अपनी शिकायत दर्ज़ करवा सकता है। इसके बाद उपभोक्ता चाहे तो बैंक लोकपाल के आदेश की अपील तीस दिनों के अंदर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के समक्ष कर सकता है। अगर उपभोक्ता अब भी संतुष्ट नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है।
◆साइबर सेल में भी दर्ज करें शिकायत
उपभोक्ता अपनी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस की साइबर सेल में दर्ज़ करवा सकता है। इस प्रकार की साइबर सेल लगभग सभी शहरों एवं महानगरों में बनायी जा चुकी हैं। उपभोक्ता अपनी शिकायत देश की किसी भी साइबर सेल में कर सकता है।
यह पैसा चोरी करने की एक नयी प्रक्रिया है। जिसमें उपभोक्ता के एटीएम कार्ड की जानकारी को एटीएम मशीन में या उस कक्ष में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे की कार्ड डालने वाली जगह पर कार्ड स्कैमर, कीपैड पर छोटा कैमरा आदि लगा के पता किया जाता है। इसके बाद अवैध तरीके से उपभोक्ता की जमा पूंजी को एटीएम से निकाल लिया जाता है।
◆कब, कैसे और कहाँ करें शिकायत
अपराध से पीड़ित व्यक्ति को शिकायत अवश्य दर्ज़ करनी चाहिए। इस प्रकार के मामलों में शिकायत क्रिमिनल एवं सिविल के दोनों प्रारूपों में करायी जा सकती है। क्रिमिनल के प्रारूप में अपराधी को 'सूचना तकनीक अधिनियम २००२' की धारा ६६ C और ६६ D के अंतर्गत अपराधी माना जायेगा। सिविल के प्रारूप में बैंक द्वारा उपभोक्ता के पैसों की कमीपूर्ति की जाएगी। इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियमावली लागू करके सभी बैंकों को सूचना भी दी गयी है। आऱबीआई के नियम आने के बाद सभी बैंकों की ज़िम्मेदारी अब और बढ़ गयी है। उदाहरण के लिए जैसे पहले 'अवैध लेन-देन' सिद्ध करने का भार उपभोक्ता पर होता था, लेकिन अब यह भार बैंक पर होगा।
◆बैंक में दर्ज़ करें शिकायत
उपभोक्ताओं की शिकायत एवं समस्याओं को सुलझाना बैंक का एक प्रमुख कार्य है। लेकिन साथ ही उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान भी रखना चाहिए, जैसे;
(1) आऱबीआई के नियम के अनुसार ऐसे धोखाधड़ी व अवैध लेन-देन के प्रकरण जहाँ पर बैंक की लापरवाही य कमी पायी जाती है, और या फिर इस प्रकार का उल्लंघन किसी तीसरे पक्ष द्वारा किया जाता है, तब वहाँ पर उपभोक्ता की देयता मतलब लायबिलिटी शून्य होगी। लेकिन इसके लिया पीड़ित उपभोक्ता को बैंक में अपनी शिकायत तीन कार्य दिवस के अंदर दर्ज़ करवानी होगी।
(2) अगर धोखाधड़ी य अवैध लेन-देन उपभोक्ता की लापरवाही के कारण हुआ है, तो लायबिलिटी उपभोक्ता पर तब तक रहेगी जब तक वह अपनी शिकायत बैंक में दर्ज नहीं करा देता। शिकायत दर्ज़ होने के बाद लायबिलिटी बैंक के ऊपर स्थानांतरित हो जाएगी।
(3) अगर उपभोक्ता का पैसा किसी व्यक्ति द्वारा एटीएम से निकाल लिया जाता है, और उपभोक्ता इसकी शिकायत तीन कार्य दिवस के बाद लेकिन सात कार्य दिवस के अंदर दर्ज़ करवाता है, तो उपभोक्ता की लायबिलिटी को सीमित कर दिया जायेगा, जो कि 'एटीएम से निकाले गए पैसे' य 'आरबीआई के नियम द्वारा निर्धारित मूल्य' दोनों में से जो भी रक़म कम होगी उसी के बराबर का पैसा बैंक द्वारा उपभोगता को दिया जायेगा।
(4) अगर उपभोक्ता अपनी शिकायत सात कार्य दिवस के बाद दर्ज करवाता है, तब उसको कितना पैसा बैंक द्वारा दिया जाये यह 'बैंक के बोर्ड की मंजूरी नीति' द्वारा तय किया जायेगा ।
(5) उपभोक्ता अपनी शिकायत उसी बैंक में दर्ज़ कर सकते हैं जिसमे उनका खाता खुला हुआ है, न कि उस बैंक में जिसके एटीएम से अवैध लेन-देन किया गया है।
(6) उपभोक्ता को शिकायत दर्ज़ करने के लिए बैंक द्वारा कई विकल्प दिए जाते हैं, जैसे की उपभोक्ता, सम्बंधित बैंक की वेबसाइट पर जा कर अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं। जिसके बाद बैंक उपभोक्ता को एसमएस, ई -मेल य प्रतिउत्तर के द्वारा आगे की कार्यवाही से अवगत कराएगी।
(7)
आरबीआई के नियम के अनुसार देयता धनराशि का भुगतान खाताधारक उपभोक्ता को दस कार्य दिवस के अंदर कर दिया जाये।
◆बैंक के शिकायत न दर्ज़ करने पर
अगर बैंक उपभोक्ता की शिकायत नहीं दर्ज करता है, तब इस स्तिथि में उपभोक्ता बैंक लोकपाल में अपनी शिकायत दर्ज़ करवा सकता है। इसके बाद उपभोक्ता चाहे तो बैंक लोकपाल के आदेश की अपील तीस दिनों के अंदर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के समक्ष कर सकता है। अगर उपभोक्ता अब भी संतुष्ट नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है।
◆साइबर सेल में भी दर्ज करें शिकायत
उपभोक्ता अपनी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस की साइबर सेल में दर्ज़ करवा सकता है। इस प्रकार की साइबर सेल लगभग सभी शहरों एवं महानगरों में बनायी जा चुकी हैं। उपभोक्ता अपनी शिकायत देश की किसी भी साइबर सेल में कर सकता है।
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